कार्तिक मास की भींगी भोर में चमक उठा श्रद्धा का उजास

डाला छठ के मौके पर सूरज की पहली किरण को दिया व्रती महिलाओं ने अर्ध्य दान

 

रिपोर्टर - के के उपाध्याय 

 

भदोही,उजाला सिटी। लोक आस्था के महापर्व डाला छठ के अंतिम दिन मंगलवार को कार्तिक मास की भींगी भोर श्रद्धा के उजास से चमक उठी। वहीं भक्ती के भाव से सभी छठ व्रती महिलाओं का चेहरा दमदम कर रहा था। उनके द्वारा छठ मईया की महिमा को बखानते गीत मानों व्रतियों के शरीर में छुपी आत्मा सीधे परमात्मा से साक्षात्कार करने में रत हो। सूर्य की लालिमा जल तरंग छेड़ने को आतुर थे तो वहीं कुंडों की गोद में पसरी आस्था श्रृंखला विनयवत अर्ध्य देने को उतावली थी।

सूर्योपासना के चार दिवसीय महापर्व डाला छठ महोत्सव के अंतिम दिन नगर के सिविल लाइन, जमुनीपुर कालोनी स्थित मां कात्यायनी देवी मंदिर के बगल में व रजपुरा कालोनी के फेज-दो के स्वीमिंगपूल में बने अस्थाई कुंड तथा नई बाजार सहित अमूमन हर तालाब, जलाशयों व पोखरों के किनारे और कुंडों पर यही नजारा देखने को मिला। रात के तीसरे प्रहर से ही छठ मईया के भक्त डाला उठाए वहां पर एकत्र होने लगे थे। व्रती महिलाओं के साथ उनके परिजन भी सिर पर डाला उठाएं कुंड की तरफ पहुंचना शुरूकर दिए थे। वहीं मनौती वाले लोग ढोल-नगाड़ों के साथ कुंड पर पहुंच रहे थे। साथ ही साथ बच्चों द्वारा वहां पर हल्की-फुल्की आतिशबाजी भी की जा रही थी। वहीं महिलाओं द्वारा वहां पहुंचने के बाद छठ मईया के गीत को पूरे भक्ति भाव से गाया जा रहा था। सुन रे सुरूज देव, उग हो सुरूज देव...,गीत माइक से बज रहा था। महिलाएं पूरी भक्ति व भाव के साथ कुंड में उतरीं। उनका आधा शरीर जल में और मन प्रभु की आराधना में लीन था तो वही नैन आसमान की ओर टकटकी लगाए हुई थी। पूर्वी क्षितिज में लालिमा के साथ गीतों के स्वर जोर पकड़ने लगे। 'सुरुज" महाराज की पहली किरण जलराशि पर पड़ते ही नीर-क्षीर से प्रत्यक्ष प्रभु को अर्ध्य समर्पित कर दिया। जहां पर महिलाओं द्वारा पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की गई।