कृषि विकास एवं किसान कल्याण' को समर्पित रहा केन्द्रीय संचार ब्यूरो के सेवा, सुशासन एवं गरीब कल्याण के 11 साल के प्रचार प्रसार कार्यक्रम का तीसरा दिन

किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और उनका कल्याण 'विकसित भारत' के संकल्प का एक अभिन्न अंग है।” - डॉ. दीपाली सिंह चौहान

 
“भारत की आत्मा स्वदेशी है और देश की अर्थव्यवस्था स्वदेशीकरण से बढ़ रही है और भारत को विकसित बनाने में इसका प्रमुख योगदान रहेगा।” - प्रोफेसर एम. के. अग्रवाल
 
“सही भंडारण और प्रसंस्करण तकनीकों से किसान अपनी उपज के नुकसान को कम कर सकते हैं।” - डॉ. ए. के. श्रीवास्तव
 
लखनऊ,उजाला सिटी। केन्द्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी), लखनऊ द्वारा डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में आयोजित पाँच दिवसीय मल्टीमीडिया प्रदर्शनी एवं जागरूकता कार्यक्रम का तीसरा दिन 'कृषि विकास एवं किसानों का कल्याण' विषय को समर्पित रहा। सत्र में कृषि क्षेत्र के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिनमें डॉ. दीपाली सिंह चौहान, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक; प्रोफेसर एम. के. अग्रवाल, अर्थशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय; डॉ. ए. के. श्रीवास्तव, कृषि वैज्ञानिक और प्रोफेसर यशवंत विरोदय, मीडिया प्रभारी, डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय शामिल थे।
 
डॉ. दीपाली सिंह चौहान ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा, “किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और उनका कल्याण 'विकसित भारत' के संकल्प का एक अभिन्न अंग है।” उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और मिट्टी के स्वास्थ्य के महत्व पर ध्यान आकर्षित किया और ड्रोन तकनीक, जैविक खेती और टपक सिंचाई के प्रयोग को कृषि के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पिछले 11 साल की सभी योजनाओं का उद्देश्य पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाना रहा है, और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना, डिजिटल मंडी, मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसे कई योजनाओं की प्रशंसा की।
 
प्रोफेसर एम. के. अग्रवाल ने कृषि-अर्थव्यवस्था में सरकारी नीतियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने 'एक राष्ट्र, एक टैक्स' के तहत जीएसटी की दरों में हुई कल्याणकारी कटौती की प्रशंसा की, जिसने कृषि क्षेत्र को बहुत लाभ पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि इन नीतियों से देश में बढ़ती माँग और समावेशी विकास को बल मिला है। प्रो. अग्रवाल ने कहा, “भारत की आत्मा स्वदेशी है,” और इस बात पर जोर दिया कि अर्थव्यवस्था स्वदेशीकरण से बढ़ रही है और भारत को विकसित बनाने में इसका प्रमुख योगदान रहेगा। उन्होंने किसानों को बाज़ार से सीधे जोड़ने के लाभों पर भी चर्चा की, जिससे बिचौलियों को ख़त्म किया जा सके और किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल सके।
 
डॉ. ए. के. श्रीवास्तव ने फसल प्रबंधन के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया की कैसे सही भंडारण और प्रसंस्करण तकनीकों से किसान अपनी उपज के नुकसान को कम कर सकते हैं। प्रोफेसर यशवंत विरोदय ने कृषि संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी को किसानों तक पहुँचाने में मीडिया और संचार की भूमिका पर अपने विचार रखें।
 
डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने आज के कार्यक्रम के बारे में अपने संदेश में कहा कि आज के कार्यक्रम का विषय कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों के कल्याण को समर्पित था। कृषि प्रधान देश होने के नाते आज का विषय अत्यंत ही महत्वपूर्ण था। आज के कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिकों और अर्थशास्त्रियों ने अपने संबोधनों में जो विचार रखे वह अत्यंत उत्कृष्ट थे।
 
मुख्य सत्र के आलवा 'किसानों का सम्मान' जैसे विषयों को दर्शाती चित्र प्रदर्शनी भी दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही। इसके अतिरिक्त, विभाग द्वारा आयोजित प्रश्नोत्तरी में आए हुए दर्शकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और पुरस्कार जीतें। सिद्धिधाम सांस्कृतिक दल और नटराजन पपेट एंड ग्रुप के कार्यक्रमों ने आगंतुकों का भरपूर मनोरंजन किया।
 
सत्र का समापन केन्द्रीय संचार ब्यूरो के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी, जय सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने सभी सम्मानित वक्ताओं और उपस्थित दर्शकों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर केंद्रीय संचार ब्यूरो के निदेशक मनोज कुमार वर्मा, लक्ष्मण शर्मा, अमन त्रिपाठी, प्रेम सिंह नेगी, जितेंद्र पाल सिंह और विश्वविद्यालय के डॉ कौशिकी सिंह, सह आचार्य, संदीप सहित अन्य अधिकारी, कर्मचारी व गणमान्य लोग मौजूद रहे।