‘राष्ट्रीय एकता में हिन्दी की भूमिका’’

लखनऊ,उजाला सिटी न्यूज़। आज भाषा विभाग उ0 प्र0 शासन के नियंत्रणाधीन उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, इन्दिरा भवन, लखनऊ में ‘‘राष्ट्रीय एकता में हिन्दी की भूमिका’’  विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव जी ने की।
माँ वीणा पाणि के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर माल्यार्पण के साथ संगोष्ठी का शुभारम्भ किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्रो0 अल्का पाण्डेय जी, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ नें अपने वक्तव्य में कहा कि "हम केवल मातृभाषा, राष्ट्रीयता, भारतीय संस्कृति आदि नारों के बल पर, कब तक हिन्दी-प्रयोग की ओर प्रेरित करते रहेंगे। कब तक हिन्दी दूसरों की कृपा आकांक्षी बनी रहेगी। आज जरूरत है शब्द ब्रह्म को रोटी की भाषा बनाने की। 
आज आवश्यकता है पूरी तत्परता, सक्रियता के साथ हिन्दी को व्यावहारिक रूप देकर जीवन से जोडा जाये। स्वदेशी, स्वराज और स्वभाषा को हम अपनाएं। तभी सच्चे अर्थो में हिन्दी दिवस होगा। 
विशिष्ट अतिथि प्रो0 गंगा प्रसाद शर्मा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी निरंतर आगे बढ़ रही है। आज हिंदी मात्र राष्ट्रीय एकता की भाषा नहीं है, बल्क ग्लोबल भाषा के रूप में स्थापित हो चुकी है। उन्होंने एक मुक्तक के माध्यम से कहा,
"हमारी मातृभू के अति सलोने भाल की बिंदी 
हमारे देश हिन्दुस्तान की पहचान है हिन्दी,
हमारे मान की सम्मान की अभिमान की भाषा
हमारी शान है हिन्दी हमारी जान है हिन्दी।"
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गोंडा उ प्र से पधारे प्रो शैलेन्द्र नाथ मिश्र जी ने अपने वक्तव्य में कहा,"हिन्दी भाषा  ने स्वतंत्रता के पूर्व राष्ट्रीय एकता के सपने को साकार किया। भाषा की स्थापना एकता के लिए साहित्य का आधार आर्थिक मजबूत है शिक्षानीति 2020 के अंतर्गत मातृभाषा एवं अन्य भाषाओं के अध्ययन की व्यवस्था आने वाले दिनों में राष्ट्रीय एकता का आधार बनेगी। हिन्दी भाषाओं का समुच्चय है। अपनी उदार भावना के कारण हिन्दी राष्ट्र भाषा और विश्व भाषा दोनों पदों पर सुशोभित होगी।
संस्थान के निदेशक श्री विनय श्रीवास्तव की अध्यक्षता में सम्पन्न इस कार्यक्रम का संचालन डा0 रश्मि शील जी ने किया । कार्यक्रम में  अंजू सिंह ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम के समापन की घोषणा की। इस अवसर पर अंजू सिंह, मीना सिंह, हर्ष राज अग्निहोत्री, रवि, ब्रजेश, प्रियंका टण्डन, सोनी,  शशि, आदि अनेक साहित्कार, विद्वान व इंदिरा भवन में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे।
उपस्थित विद्वानों, श्रोताओं द्वारा कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा की गई तथा यह अभिलाषा व्यक्त की इस तरह के भाषा शिक्षा व संस्कृति पर आधारित कार्यक्रमों का आयोजन समय समय पर कराया जाना उचित है, इससे एक नई ऊर्जा प्राप्त होती है और ज्ञान वर्धन भी होता है।