कवि सम्मेलन में कवियों ने बाँधा समां, पिता से उनकी पाई पाई बांट लेते हैं। दर ओ दीवार चारपाई बांट लेते हैं।

ब्लॉक कोथावां के ग्राम जनिगवां पट्टी स्थित गणपति लॉन में एस पी सी सी कोचिंग संस्थान के तत्वावधान में आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने ऐसा समां बाँधा कि समापन तक श्रोता अपनी कुर्सियों पर डटे रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि मंगल दीप संस्था के अध्यक्ष शिव शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलन व माँ शारदा के चित्र पर माल्यार्पण कर किया।

कवि सम्मेलन की शुरुआत कवयित्री आकांक्षा गुप्ता की वाणी वंदना से हुई। गीतकार गीतेश दीक्षित ने "है लाचार किसान परिस्थिति का मारा। खुले मवेशी मंहगाई हर विधि से हारा।।" कविता पढ़ वाह वाही लूटी। ओज कवि राजेश बाबू अवस्थी ने "किसी हाल में भारत माँ की शान नहीं जाने देंगे। जाया बीस बांकुरों का बलिदान नहीं जाने देंगे।" कविता पढ़ तालियां बटोरीं। हास्य कवि सरल सुनामी की कविता "अपना जीवन तो बस सीधा सादा है। दिल न तोड़ेंगे तेरा ये वादा है। जितनी खुशियां बांट सको उतनी बांटो नफरत के नुकसान बहुत ही ज्यादा हैं" सराही गई। संयोजक कवि आदेश तिवारी ने "सिर्फ खुद को उठाना नहीं चाहता। मैं किसी को झुकाना नहीं चाहता।। रोशनी सिर्फ मेरे तलक ही रहे, इस तरह जगमगाना नहीं चाहता।" कविता पढ़ वाहवाही लूटी। गीतकार पवन प्रगीत ने "मन कबीरा को पढ़के जाना है। एक हीरा को पढ़के जाना है। प्यार तो त्याग तप समर्पण है, हमने मीरा को पढ़के जाना है। कविता पढ़ तालियां बटोरीं। संचालक हास्य कवि अजीत शुक्ल ने जहाँ एक ओर अपनी कविताओं से श्रोताओं को गुदगुदाया वहीं सामाजिक सम्बन्धों पर उनकी रचना "पिता से उनकी पाई पाई बांट लेते हैं। दर ओ दीवार चारपाई बांट लेते हैं। इतने खुदगर्ज हो गए हैं अब बेटे, पहचान देने वाले से परछाईं बांट लेते हैं।" काफी सराही गई।

कार्यक्रम में प्रधान जनिगाँव रिशु सिंह, पट्टी प्रधान प्रतिनिधि ओ. पी.राठौर, मुकेश वर्मा, विवेक द्विवेदी, अक्षय शुक्ला, अनुज राठौर, सहित सैकड़ों विद्यार्थी और क्षेत्रीय लोग उपस्थित रहे।