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बात कोई ज्यादा पुरानी नहीं है। समाज की फिक्र रखने वाले कुछ पत्रकारों की जमात ने समाज में
फैली बुराइयों और अज्ञानता पर नजर डाली और फिर सोचा की हमें चैथे स्तम्भ कहा जाता है और
हम ही अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे है, बस फिर क्या था इन कलमकारों ने वर्श 2008 में उजाला
सेवा संस्थान का गठन कर नींव का पहला पत्थर रखा और शुरू हो गया इनका काम, कितनी ही
संगोश्ठियां, कार्यशालाएं, जागरूकता कार्यकर्मो विशेष पत्र प्रकाशन के माध्यम से जनता में जागरूकता
लाने का प्रयास करने लगे, मगर कम संसाधन और छोटा दायरा होने की वजह से मन में कसक
बराबर बनी रही की हम अपनी बात दूर तक नहीं पंहुचा पा रहे है, बस फिर क्या था जुनूनी पत्रकारों
ने सन 2009 में नींव का दूसरा पत्थर रखा फिर शुरू हुआ न्यूज़ चैनल। उजाला सिटी न्यूज जिसका
मिशन बना सरकार की बात जनता तक और जनता की बात सरकार तक पहुंचें उजाला सिटी न्यूज
में हमने कई कार्यक्रम शुरू किये मसलन हमारे मेहमान, संस्कृति, खेल, आपकी सेहत, कारोबार, विज्ञान,
मनोरंजन, और अदबी मंच जिसमे नए व पुराने कवियों शायरों अदीबों को देते है अपना मंच।
राजधानी में पूर्व में केबिल चैनल के माध्यम से 80 फीसदी और इन्टरनेट पर वेब पोर्टल संचालन के
बाद पूरे संसार में देखे जाने लगे और दर्शकों के अपार प्यार और स्नेह ने बना दिया लखनऊ की
आवाज मगर इन सब के बाद भी बेचैनी बनी रही यह सब जो हम कर रहे है वह हवा में है बस
फिर क्या इन जुनूनी लोगों ने 2011 में नींव का तीसरा पत्थर रखा और पूरे प्रदेष में फैले अपने
संवाददाताओं और राजधानी के तेजतर्रार टीम को लेकर हिन्दी समाचार पत्र उजाला सिटी का प्रकाशन
किया इन सभी पठन-पाठन सामग्री को हम वेबसाइट पर दे रहें है। इसके उपरान्त उर्दू के पाठकों के
लिए उर्दू दैनिक उजाला सिटी भी पाठकों के दिलों में जगह बनाकर अपनी अलग पहचान बनाने की
कोषिष कर रहा है। अब देखना यह है कि हम दर्षकों की कसौटी पर कितने खरे उतरते है ?
मंजू श्रीवास्तव